दिल्ली सल्तनत के तुगलक, सैय्यद और लोदी वंश (1320–1526 ई.)
Sultanate Period Administration – Complete Study Notes in Hindi
मध्यकालीन भारत के इतिहास में दिल्ली सल्तनत का काल प्रशासनिक प्रयोगों, राजनीतिक उतार-चढ़ाव और स्थापत्य विकास के लिए जाना जाता है।
खिलजी वंश के बाद तुगलक, सैय्यद और लोदी वंश ने सल्तनत को नई दिशा दी। साथ ही इस काल में प्रशासनिक ढाँचा भी अधिक संगठित हुआ।
1️⃣ तुगलक वंश (1320 – 1414 ई.)
👉 दिल्ली सल्तनत पर सबसे लंबे समय (लगभग 94 वर्ष) तक शासन करने वाला वंश।
🔶 गयासुद्दीन तुगलक (1320 – 1325 ई.)
संस्थापक:
- वास्तविक नाम गाजी मलिक
- खिलजी वंश का अंत कर तुगलक वंश की स्थापना
प्रमुख कार्य एवं नीतियाँ:
- अलाउद्दीन खिलजी की कठोर भू-मापीकरण नीति समाप्त
- लगान को 1/3 या 1/5 भाग तक सीमित किया
- नहर निर्माण: सिंचाई हेतु नहरें बनवाने वाला प्रथम सुल्तान
स्थापत्य:
- दिल्ली के निकट तुगलकाबाद दुर्ग का निर्माण
मृत्यु (1325 ई.)
- अफगानपुर (दिल्ली) में लकड़ी का महल गिरने से मृत्यु
- सूफी संत निजामुद्दीन औलिया का प्रसिद्ध कथन —
“हनूज दिल्ली दूर अस्त” (दिल्ली अभी दूर है)
🔶 मुहम्मद बिन तुगलक (1325 – 1351 ई.)
विशेष पहचान:
- दिल्ली सल्तनत का सबसे शिक्षित लेकिन सबसे विवादास्पद शासक
- इतिहासकारों द्वारा — स्वप्नशील, रक्तपिपासु और पागल कहा गया
विदेशी यात्री:
- मोरक्को का यात्री इब्न बतूता
- इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया गया
❌ मुहम्मद बिन तुगलक की पाँच असफल योजनाएँ
राजधानी परिवर्तन-
दिल्ली → देवगिरी (दौलताबाद)
- जनता को भारी कष्ट
-
तांबे/कांस्य के सिक्के
- व्यापक जालसाजी → योजना विफल
- सेना को 1 वर्ष का अग्रिम वेतन
- अभियान रद्द → आर्थिक क्षति
कराचिल अभियान
- हिमालयी क्षेत्र
- भारी सैन्य हानि
दोआब में कर वृद्धि
- अकाल के समय कर बढ़ाया
- विद्रोह भड़क उठा
कृषि सुधार:
- दीवान-ए-अमीर-कोही (कृषि विभाग) की स्थापना
राजनीतिक विघटन:
इसी काल में विजयनगर साम्राज्य (1336),बहमनी साम्राज्य (1347) स्वतंत्र हुए🔶 फिरोजशाह तुगलक (1351 – 1388 ई.)
धार्मिक नीति:
- कट्टर सुन्नी शासक
- ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया
जनकल्याणकारी कार्य:
- दीवान-ए-खैरात → दान विभाग
- दार-उल-शफा → अस्पताल
दास प्रेम:
- दीवान-ए-बंदगान (दास विभाग)
- लगभग 1,80,000 दास
सिंचाई कर:
- हक-ए-शर्ब → उपज का 10%
धार्मिक विनाश:
- जगन्नाथ मंदिर और ज्वालामुखी मंदिर को क्षति
2️⃣ सैय्यद वंश (1414 – 1451 ई.)
विशेषता:
- तैमूर के आक्रमण के बाद कमजोर केंद्रीय सत्ता
🔹 खिज्र खाँ
- संस्थापक
- ‘सुल्तान’ की बजाय ‘रैय्यत-ए-आला’ की उपाधि
- तैमूर के पुत्र शाहरुख को कर भेजता था
🔹 मुबारकशाह
- ऐतिहासिक ग्रंथ —
‘तारीख-ए-मुबारकशाही’
- लेखक: याहिया बिन सरहिन्दी
🔹 अलाउद्दीन आलम शाह
- अंतिम शासक
- स्वेच्छा से दिल्ली त्यागी
3️⃣ लोदी वंश (1451 – 1526 ई.)
👉 दिल्ली सल्तनत का प्रथम अफगान वंश
🔶 बहलोल लोदी
- संस्थापक
- बहलोली सिक्के चलाए
- जौनपुर को दिल्ली में मिलाया
🔶 सिकन्दर लोदी
- 1504 ई. में आगरा नगर बसाया
- गज-ए-सिकन्दरी (भूमि माप प्रणाली)
- ‘गुलरुखी’ उपनाम से फारसी कवि
🔶 इब्राहिम लोदी (अंतिम सुल्तान)
- 1526 ई.
- पानीपत का प्रथम युद्ध
- बाबर से पराजित एवं मारा गया
- यहीं से दिल्ली सल्तनत का अंत
4️⃣ सल्तनत कालीन प्रमुख विभाग एवं निर्माता
| विभाग | कार्य | प्रवर्तक |
|---|---|---|
| दीवान-ए-आरिज | सैन्य विभाग | बलबन |
| दीवान-ए-मुस्तखराज | बकाया वसूली | अलाउद्दीन खिलजी |
| दीवान-ए-रियासत | बाजार नियंत्रण | अलाउद्दीन खिलजी |
| दीवान-ए-अमीर-कोही | कृषि विभाग | मुहम्मद बिन तुगलक |
| दीवान-ए-खैरात | दान विभाग | फिरोजशाह तुगलक |
| दीवान-ए-बंदगान | दास विभाग | फिरोजशाह तुगलक |
5️⃣ सल्तनत कालीन प्रशासनिक ढाँचा
सुल्तान
- सर्वोच्च सेनापति एवं मुख्य न्यायाधीश
वजीर
- राजस्व विभाग (दीवान-ए-विजारत) का प्रमुख
इक्ता व्यवस्था
- प्रांत = इक्ता
- प्रमुख = मुक्ति / वली
शिक व्यवस्था
जिला = शिक- अधिकारी = शिकदार
दशमलव प्रणाली
सैन्य संगठन- सरे-खेल → खान तक पदानुक्रम
तुगलक वंश ने प्रशासनिक प्रयोग, सैय्यद वंश ने संक्रमण काल, और लोदी वंश ने अफगान शक्ति का प्रतिनिधित्व किया।
इब्राहिम लोदी की पराजय के साथ दिल्ली सल्तनत का अंत हुआ और भारत में मुगल युग का सूत्रपात हुआ।
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🏛️ सल्तनत कालीन वास्तुकला, साहित्य, अमीर खुसरो और मुद्रा व्यवस्था
(Delhi Sultanate: Architecture, Literature & Currency System in Hindi)
दिल्ली सल्तनत का काल केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि वास्तुकला, साहित्य, संगीत और मुद्रा व्यवस्था के क्षेत्र में भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। यह भाग प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पूछे जाने वाले टॉपिक्स को कवर करता है।
1️⃣ सल्तनत कालीन वास्तुकला (Architecture of Delhi Sultanate)
🔶 तुगलक कालीन वास्तुकला
तुगलक काल में एक नई और सादगीपूर्ण शैली विकसित हुई जिसे —
🧱 ढलवां दीवार शैली (Salami Style)
- मोटी, ढलवां और मजबूत दीवारें
- कम सजावट, अधिक सुरक्षा
- आर्थिक और सैन्य परिस्थितियों का प्रभाव
🏰 गयासुद्दीन तुगलक
- तुगलकाबाद दुर्ग (दिल्ली) का निर्माण
- स्वयं का मकबरा बनवाया
- कलश
- आमलक
🏙️ मुहम्मद बिन तुगलक
- जहांपनाह नगर (दिल्ली) की स्थापना
- आदिलाबाद किला का निर्माण
- वास्तुकला में प्रयोगधर्मिता
🌊 फिरोजशाह तुगलक
नगरों की स्थापना:
- कोटला फिरोजशाह
- फतेहाबाद
- हिसार
- जौनपुर
- फिरोजपुर
हौज-खास
- जल संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण
- आज भी प्रसिद्ध स्मारक
🕌 लोदी कालीन वास्तुकला
👉 लोदी काल को कहा जाता है —
“मकबरों का काल”
सिकन्दर लोदी द्वारा
- मोठ की मस्जिद का निर्माण
प्रथम बार प्रयोग:
- दोहरे गुंबद (Double Dome)
- यह शैली बाद में मुगल स्थापत्य की आधारशिला बनी
2️⃣ सल्तनत कालीन प्रमुख साहित्य और साहित्यकार
👉 दिल्ली सल्तनत को फारसी और अरबी साहित्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
| पुस्तक | लेखक | विशेषता |
|---|---|---|
| तारीख-ए-फिरोजशाही | जियाउद्दीन बरनी | अलाउद्दीन व तुगलक वंश का विस्तृत वर्णन |
| किताब-उल-रेहला | इब्न बतूता | मुहम्मद बिन तुगलक कालीन समाज |
| तारीख-ए-मुबारकशाही | याहिया बिन अहमद सरहिन्दी | सैय्यद वंश का एकमात्र प्रमाणिक स्रोत |
| फतवा-ए-जहांदारी | जियाउद्दीन बरनी | राजनीतिक दर्शन |
| खजाइन-उल-फुतूह | अमीर खुसरो | अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का वर्णन |
3️⃣ अमीर खुसरो – तूती-ए-हिन्द
अमीर खुसरो सल्तनत काल के सबसे महान विद्वान, कवि और संगीतज्ञ थे।
✨ प्रमुख तथ्य
- सात सुल्तानों का शासनकाल देखा
- खड़ी बोली हिंदी के जनक
संगीत में योगदान:
- सितार
- तबला
उन्हें कहा गया —
“तूती-ए-हिन्द”
4️⃣ सल्तनत कालीन मुद्रा व्यवस्था (Currency System)
🔶 इल्तुतमिश
- चांदी का टंका
- तांबे का जीतल
🔶 मुहम्मद बिन तुगलक
इतिहास में प्रसिद्ध —👉 “सिक्कों का राजकुमार”
अदली (चांदी का सिक्का)
सांकेतिक मुद्रा (Token Currency)
- प्रयोग असफल लेकिन ऐतिहासिक
🔶 बहलोल लोदी
- बहलोली सिक्के चलाए
- ये सिक्के
📌 परीक्षा दृष्टि से अति-महत्वपूर्ण बिंदु (Quick Revision)
- ढलवां दीवार शैली → तुगलक
- दोहरा गुंबद → लोदी काल
- हौज-खास → फिरोजशाह तुगलक
- किताब-उल-रेहला → इब्न बतूता
- तूती-ए-हिन्द → अमीर खुसरो
- सांकेतिक मुद्रा → मुहम्मद बिन तुगलक
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