रीति रिवाज एवं परम्पराएँ – भारतीय संस्कृति के 16 प्रमुख संस्कार, विवाह, जन्म व मृत्यु की रस्में
भारत की संस्कृति विविधता, परंपराओं और रीतियों से भरी हुई है। प्रत्येक धर्म, क्षेत्र और समुदाय की अपनी-अपनी परम्पराएँ (Traditions) और रीति-रिवाज (Customs) हैं, जो हमारे सामाजिक और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे —
👉 16 प्रमुख हिंदू संस्कारों से लेकर विवाह, जन्म और मृत्यु संबंधी रिवाजों तक।
🌼 हिंदू धर्म के 16 प्रमुख संस्कार (षोडश संस्कार)
हिंदू जीवन दर्शन में “संस्कार” का अर्थ है — जीवन के हर चरण में आत्मिक, नैतिक और सामाजिक उन्नति हेतु किए जाने वाले पवित्र कर्म।
नीचे 16 प्रमुख संस्कारों का विवरण दिया गया है👇
🔹 जन्म से पूर्व संस्कार
गर्भाधान (ऋतुसंगम): संतान प्राप्ति हेतु किया जाने वाला संस्कार; मेवाड़ में इसे बदुरात कहा जाता है।पुंसवन: गर्भधारण के 2-3 माह बाद, गर्भ की सुरक्षा व पुत्रकामना हेतु देवी-देवताओं की पूजा।
सिमंती (चयन): गर्भ के 8वें माह में जच्चा-बच्चा की सुरक्षा हेतु देवी-पूजन।
🔹 जन्म के बाद के संस्कार
जात कर्म: शिशु के जन्म पर पिता द्वारा संस्कार किया जाता है।नामकरण: शिशु के नामकरण का समारोह।
निष्क्रमण: 3 माह बाद पहली बार शिशु को बाहर लाना।
अन्नप्राशन: 6 माह बाद प्रथम बार अन्न खिलाना।
चूड़ाकर्म (मुण्डन): बालक का सिर मुँड़वाना; राजस्थान में झड़ूला संस्कार कहा जाता है।
कर्ण-भेदन: कान छेदन संस्कार।
विधारम्भ: अक्षर ज्ञान की शुरुआत।
उपनयन (यज्ञोपवित): गुरु के पास शिक्षा ग्रहण हेतु भेजना।
वेदारम्भ: वेदों की शिक्षा प्रारंभ करना।
केशान्त/गोदान: ब्रह्मचर्य का अंतिम संस्कार।
समावर्तन: विद्या समाप्ति का संस्कार।
पाणिग्रहण: विवाह संस्कार।
अंत्येष्टि: मृत्यु के बाद दाह संस्कार।
👶 जन्म से जुड़ी रीतियाँ और परम्पराएँ
भारतीय समाज में बच्चे का जन्म एक शुभ अवसर माना जाता है। राजस्थान और भारत के कई हिस्सों में जन्म से जुड़ी कुछ प्रमुख लोक रस्में इस प्रकार हैं👇
न्हावण: जन्म के 9वें दिन माँ और बच्चे का पहला स्नान।सुहावड़: जच्चा-बच्चा के लिए विशेष भोजन।
बेमाता गीत: बच्चे की कुशलता के गीत गाए जाते हैं।
ढुढ उत्सव: जन्म के बाद पहली होली पर मनाया जाने वाला पर्व।
जलवा पूजा (कुआ/पनघट पूजा): नवजात के सम्मान
में की जाने वाली पूजा।
भारतीय समाज में विवाह सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं बल्कि दो परिवारों का सांस्कृतिक मिलन होता है।
यहाँ कुछ प्रमुख विवाह रीतियाँ दी गई हैं👇
- सगपण (रोका): सगाई की रस्म।
- चीकणी कोथली: वर पक्ष द्वारा मिठाई व उपहार देना।
- बडालियो: मध्यस्थ या वर-वधू के बीच संवादक।
- पीला चावल: निमंत्रण हेतु दोनों पक्षों द्वारा बांटे गए चावल।
- पीठी (हलदायत): हल्दी लगाने की रस्म।
- पंवरी: दुल्हन की लाल ओढ़नी।
- झिल-मिल की आरती: मंडप पूजन।
- सप्तपदी: सात फेरे और वचन ग्रहण।
- ओझण: वधू के पिता द्वारा दहेज प्रदान।
- विदाई गीत: विदाई के समय गाए जाने वाले लोक गीत।
- हथबोलणू: ससुराल में वधू का परिचय।
- मुकलावा (गौना): विवाह के बाद दूसरी बार ससुराल भेजना।
- देवस्धारा: पति की मृत्यु के बाद देवर से विवाह की प्रथा।
⚰️ मृत्यु और शोक से संबंधित संस्कार
मृत्यु को भी हिन्दू परंपरा में एक नई यात्रा की शुरुआत माना गया है। इससे जुड़े कुछ प्रमुख संस्कार हैं👇
- हरजन, हर का हिण्डौला, मरख्या: भक्ति गीत।
- बैकुंठी: शवयात्रा।
- पिण्यात: पिंडदान संस्कार।
- लाम्पा (मुखाग्नि): अग्नि देना।
- कपाल क्रिया: सिर की क्रिया।
- मौसर (नुक्ता)/बारहवाँ: 12वें दिन का भोज।
- पाग बंधाई: पिता की मृत्यु पर पुत्र को पगड़ी पहनाई जाती है।
- मौताणा: आदिवासियों में मृत्यु पर हर्जाना।
- धारी-संस्कार: सहरिया जनजाति में मृत्यु रस्म।
🌾 राजस्थान और आदिवासी समाज की अन्य लोक रस्में
- गृह प्रवेश: नए घर में प्रवेश के समय नांगल पूजा।
- महामारियों से बचाव: ओका-नोका-गुणा, डाम लगाना, तागा बाँधना जैसी परंपराएँ।
- शाका/जौहर: संकट के समय केसरिया या जौहर की प्रथा।
- पथवारी पूजा: तीर्थयात्रा से पूर्व मार्ग सुरक्षा हेतु की जाने वाली पूजा।
- 📚 निष्कर्ष
- भारतीय समाज की रीतियाँ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन के हर पड़ाव को पवित्रता से जोड़ने वाली कड़ियाँ हैं।
- चाहे जन्म हो या मृत्यु, विवाह हो या शिक्षा — हर संस्कार समाज में एकता, अनुशासन और संस्कृति की पहचान को मजबूत करता है।
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