आनुवांशिकता / Mendelism एवं वनस्पति विज्ञान से बाहर नहीं आएगा कुछ
सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए विज्ञान (Science) एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। खासकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती परीक्षा में अक्सर आनुवांशिकता, मेंडेलिस्म और वनस्पति विज्ञान से प्रश्न पूछे जाते हैं। अगर आप नीचे दिए गए 65 महत्वपूर्ण वन लाइनर ध्यान से पढ़ लेंगे, तो आप निश्चित रह सकते हैं कि इस टॉपिक से बाहर कोई प्रश्न नहीं आएगा।
🔬 आनुवांशिकता (Genetics) से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
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आनुवांशिकता का अध्ययन ग्रेगर जॉन मेंडल ने किया था।
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आनुवांशिकता को अंग्रेजी में Genetics कहते हैं।
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"Genetics" शब्द का जनक टी.एच. मॉर्गन को माना जाता है।
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गुणसूत्र (Chromosome) शब्द हॉफ़मैन ने दिया।
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"Factor" (कारक) नाम मेंडल ने दिया।
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"जीन" शब्द जोहानसन ने 1905 में दिया।
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आनुवांशिकता का सबसे पहला अध्ययन मटर के पौधे (Pisum sativum) पर हुआ।
आनुवांशिकता का अध्ययन ग्रेगर जॉन मेंडल ने किया था।
आनुवांशिकता को अंग्रेजी में Genetics कहते हैं।
"Genetics" शब्द का जनक टी.एच. मॉर्गन को माना जाता है।
गुणसूत्र (Chromosome) शब्द हॉफ़मैन ने दिया।
"Factor" (कारक) नाम मेंडल ने दिया।
"जीन" शब्द जोहानसन ने 1905 में दिया।
आनुवांशिकता का सबसे पहला अध्ययन मटर के पौधे (Pisum sativum) पर हुआ।
🌱 मटर के पौधे से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
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मटर का वैज्ञानिक नाम Pisum sativum है।
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मटर की फली सुपाच्य होती है।
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मटर के पुष्प द्विलिंगी (Bisexual) होते हैं।
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पुष्प का नर भाग पुंकेसर (Stamen) और मादा भाग अंडाशय (Ovary) होता है।
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जब परागण उसी पुष्प में होता है तो उसे स्वपरागण कहते हैं।
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जब परागण दूसरे पुष्प पर होता है तो उसे परपरागण कहते हैं।
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परागण वायु, जल और कीटों द्वारा होता है।
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निषेचन की प्रक्रिया अंडाशय में होती है।
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निषेचन के बाद बीज का निर्माण होता है।
मटर का वैज्ञानिक नाम Pisum sativum है।
मटर की फली सुपाच्य होती है।
मटर के पुष्प द्विलिंगी (Bisexual) होते हैं।
पुष्प का नर भाग पुंकेसर (Stamen) और मादा भाग अंडाशय (Ovary) होता है।
जब परागण उसी पुष्प में होता है तो उसे स्वपरागण कहते हैं।
जब परागण दूसरे पुष्प पर होता है तो उसे परपरागण कहते हैं।
परागण वायु, जल और कीटों द्वारा होता है।
निषेचन की प्रक्रिया अंडाशय में होती है।
निषेचन के बाद बीज का निर्माण होता है।
📖 मेंडल के आनुवांशिक नियम
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मेंडल ने तीन आनुवांशिक नियम बताए।
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प्रभाविता का नियम – संकर संतति में केवल एक लक्षण प्रकट होता है।
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अपभावी लक्षण (Recessive Trait) दबा रहता है।
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फर्कीकरण का नियम – गुण स्वतंत्रता से बंट जाते हैं।
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एक लक्षण का अनुपात 3:1 होता है।
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जीनोटाइप का अनुपात 1:2:1 होता है।
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स्वतंत्र संयोजन का नियम – कई गुण स्वतंत्र चलते हैं।
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दो लक्षणों का अनुपात 9:3:3:1 होता है।
मेंडल ने तीन आनुवांशिक नियम बताए।
प्रभाविता का नियम – संकर संतति में केवल एक लक्षण प्रकट होता है।
अपभावी लक्षण (Recessive Trait) दबा रहता है।
फर्कीकरण का नियम – गुण स्वतंत्रता से बंट जाते हैं।
एक लक्षण का अनुपात 3:1 होता है।
जीनोटाइप का अनुपात 1:2:1 होता है।
स्वतंत्र संयोजन का नियम – कई गुण स्वतंत्र चलते हैं।
दो लक्षणों का अनुपात 9:3:3:1 होता है।
🧬 समायुग्मी, विषमायुग्मी और हाइब्रिड
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समायुग्मी (Homozygous) – TT, tt, RR, YY
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विषमायुग्मी (Heterozygous) – Tt, Rr, Yy
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संकरण (Hybrid) – दो जातियों के मिश्र से बनता है।
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हाइब्रिड उदाहरण – संतरा, लेमन, अंगूर।
समायुग्मी (Homozygous) – TT, tt, RR, YY
विषमायुग्मी (Heterozygous) – Tt, Rr, Yy
संकरण (Hybrid) – दो जातियों के मिश्र से बनता है।
हाइब्रिड उदाहरण – संतरा, लेमन, अंगूर।
🌸 पुष्प और परागण से जुड़े तथ्य
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पुष्प का नर भाग – पुंकेसर।
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पुष्प का मादा भाग – अंडाशय।
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पुंकेसर में परागकण और पुञ्जक होते हैं।
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एक फूल का पराग उसी पर गिरे – स्वपरागण।
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एक फूल का पराग दूसरे फूल पर गिरे – परपरागण।
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परागण के माध्यम – वायु, जल, कीट।
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मटर के पुष्प में पुंकेसर और अंडाशय दोनों पाए जाते हैं।
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निषेचन में नर और मादा युग्मक का संयोग होता है।
पुष्प का नर भाग – पुंकेसर।
पुष्प का मादा भाग – अंडाशय।
पुंकेसर में परागकण और पुञ्जक होते हैं।
एक फूल का पराग उसी पर गिरे – स्वपरागण।
एक फूल का पराग दूसरे फूल पर गिरे – परपरागण।
परागण के माध्यम – वायु, जल, कीट।
मटर के पुष्प में पुंकेसर और अंडाशय दोनों पाए जाते हैं।
निषेचन में नर और मादा युग्मक का संयोग होता है।
🌿 मटर के लक्षण और उनके प्रकार
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ऊँचाई – Tall (लंबा) या Dwarf (बौना)।
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फूल का रंग – गुलाबी या सफेद।
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बीज का रंग – हरा या पीला।
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बीज का आकार – गोल या मुड़ा हुआ।
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फूल की स्थिति – शीर्ष या पार्श्व।
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पुष्प का रंग – बैंगनी या सफेद।
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बीज की ताजगी – चिकनी या सिकुड़ी हुई।
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मटर में कुल 7 लक्षण महत्वपूर्ण हैं।
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प्रभावी लक्षण स्वयं को प्रकट करते हैं।
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अपभावी लक्षण दबे रहते हैं।
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बीज का बाहरी आवरण गोलाकार होना प्रभावी लक्षण है।
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बीज का रंग – पीला प्रभावी, हरा अपभावी।
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फूल का रंग – गुलाबी प्रभावी, सफेद अपभावी।
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बीज का आकार – गोल प्रभावी, मुड़ावदार अपभावी।
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पुष्प का स्थान – शीर्ष प्रभावी, पार्श्व अपभावी।
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पुष्प का रंग – बैंगनी प्रभावी, सफेद अपभावी।
ऊँचाई – Tall (लंबा) या Dwarf (बौना)।
फूल का रंग – गुलाबी या सफेद।
बीज का रंग – हरा या पीला।
बीज का आकार – गोल या मुड़ा हुआ।
फूल की स्थिति – शीर्ष या पार्श्व।
पुष्प का रंग – बैंगनी या सफेद।
बीज की ताजगी – चिकनी या सिकुड़ी हुई।
मटर में कुल 7 लक्षण महत्वपूर्ण हैं।
प्रभावी लक्षण स्वयं को प्रकट करते हैं।
अपभावी लक्षण दबे रहते हैं।
बीज का बाहरी आवरण गोलाकार होना प्रभावी लक्षण है।
बीज का रंग – पीला प्रभावी, हरा अपभावी।
फूल का रंग – गुलाबी प्रभावी, सफेद अपभावी।
बीज का आकार – गोल प्रभावी, मुड़ावदार अपभावी।
पुष्प का स्थान – शीर्ष प्रभावी, पार्श्व अपभावी।
पुष्प का रंग – बैंगनी प्रभावी, सफेद अपभावी।
📌 अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
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पुंकेसर के दो भाग – परागकण और पुंजर।
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अंडाशय के अंदर अंडाणु होते हैं।
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मेंडल ने हाइब्रिड क्रॉस के लिए मटर को चुना।
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मटर के बीज द्विबीजपत्री (Dicotyledon) होते हैं।
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संकरण का उद्देश्य – दो अच्छे लक्षणों का संयोजन।
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पुष्प के भाग – सेपल्स, पंखुड़ियां, पुंकेसर, अंडाशय।
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निषेचन के बाद अंडाशय फल में बदल जाता है।
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लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं – इसे आनुवांशिकता कहते हैं।
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मटर पर किए गए प्रयोगों से आनुवांशिकता के नियम स्थापित हुए।
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बीज का बाहरी भाग – cotyledon (बीजपत्र)।
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मटर का चयन – स्पष्ट लक्षणों की वजह से हुआ।
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परागण और निषेचन के बाद ही बीज का निर्माण होता है।
पुंकेसर के दो भाग – परागकण और पुंजर।
अंडाशय के अंदर अंडाणु होते हैं।
मेंडल ने हाइब्रिड क्रॉस के लिए मटर को चुना।
मटर के बीज द्विबीजपत्री (Dicotyledon) होते हैं।
संकरण का उद्देश्य – दो अच्छे लक्षणों का संयोजन।
पुष्प के भाग – सेपल्स, पंखुड़ियां, पुंकेसर, अंडाशय।
निषेचन के बाद अंडाशय फल में बदल जाता है।
लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं – इसे आनुवांशिकता कहते हैं।
मटर पर किए गए प्रयोगों से आनुवांशिकता के नियम स्थापित हुए।
बीज का बाहरी भाग – cotyledon (बीजपत्र)।
मटर का चयन – स्पष्ट लक्षणों की वजह से हुआ।
परागण और निषेचन के बाद ही बीज का निर्माण होता है।
✨ निष्कर्ष
अगर आप इन 65 वन लाइनर को अच्छे से याद कर लेते हैं, तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती परीक्षा में आनुवांशिकता और वनस्पति विज्ञान से बाहर कोई प्रश्न नहीं आएगा। यह आपके सिलेक्शन की गारंटी को और मजबूत कर देगा।
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